Wednesday 28 January, 2009

पत्थर काटकर ग्रामीणों ने बनाया पुल



धरीश्चंद्र सिंह
झारखंड भले ही अपने निर्माण के इन आठ वर्षों में एक फेल्ड स्टेट (विफल राज्य) बन गया हो, लेकिन यहां की साझा संस्कृति अब भी इस समाज की संभावनाओं की विपुलताओं की ओर बराबर इशारा करती हैं.
पूर्वी सिंहभूम के घाटशिला अनुमंडल में ऐसा ही उदाहरण देखने को मिला.चाकुलिया की बर्डीकानपुर पंचायत स्थित बंगाल सीमा से सटे पहाड़ पर बसे जोभीवासियों ने पहाड़ों से पत्थर काटकर श्रमदान से पुल बना डाला.
रामधारी सिंह दिनकर की पंक्तियां “मानव जब जोर लगाता है, पत्थर भी पानी बन जाता है‘ इनपर सटीक बैठती हैं. यहां के ग्रामीणों ने श्रमदान से बड़े-बड़े पत्थरों को काट कर न सिर्फ पुल बना डाला है, बल्कि सड़क भी बना डाली है. अब इस बीहड़ गांव तक जाने का मार्ग प्रशस्त हो गया. ग्रामीणों की आंखों में एक चमक आ गयी. जोभी गांव तक जाने के लिए सड़क नहीं थी. भालुकबुढ़ी खाल तथा एक किमी तक पहाड़ी रास्ता होने के कारण गांव तक वाहन नहीं जा सकते थे. सड़क के अभाव में यहां के मरीजों की मौत आम बात थी. यहां के ग्रामीण बंगाल के होकर रह गये थे. ग्रामीणों ने जन प्रतिनिधियों तथा अफसरों से कई बार गुहार लगायी, मगर किसी ने ध्यान नहीं दिया. बाध्य होकर ग्रामीणों ने श्रमदान से सड़क तथा पुल बनाने का निर्णय लिया. छह दिनों तक दर्जनों ग्रामीण फावड़ा तथा कुदाल लेकर फौलाद बन कर चट्टानों पर टूट पड़े. न केवल जवान वरन बुजुर्गों के हाथ भी फौलाद की तरह चलने लगे थे. जल्द ही परिणाम सामने आ गया. पत्थरों को काट कर पत्थरों से ही खाल पर एक पुल बना डाला. करीब एक किमी तक सड़क बना डाली. अब बगैर ठहरे कोई वाहन गांव तक आसानी से जा सकता है.

1 comment:

अभिषेक मिश्र said...

Jharkhand se ek aur blog dekh accha laga. asha hai wahan ki sanskritik gatividhiyon ki jaankari milti rahegi. Swagat.

(gandhivichar.blogspot.com)